Van Serai Forest Lodge: A Himalayan Retreat in Jageshwar Dham
Van Serai
सावन का महीना सभी शिव भक्तों के लिए सबसे बड़े पवित्र महीनों में से एक है। सावन जुलाई के अंत से शुरू होकर अगस्त के मध्य तक चलता है। यह मानसून सत्र का समय होता है। सावन हिंदू कैलेंडर का पाँचवाँ महीना है।

सोमवार को शिव रुद्राभिषेक और पार्थिव पूजन के लिए बहुत से लोग जागेश्वर आते हैं। पार्थिव पूजन के लिए लोग 4 अलग-अलग तरह के शिवलिंग बनाते हैं।
Known by various names in different mountainous regions, Rhododendron is not just one of the most beautiful flowers, it is also beneficial thanks to its medicinal properties. It is also the state tree of Uttarakhand.
While travelling in Uttarakhand, you may chance upon a small hut-like structure, usually made of stone, that resembles a small temple. It holds a great treasure, a fresh and clean spring of water.
एक प्यार का सीधे दिल से निकला हुआ अटूट रिश्ता, जन्मों तक ना टूटने वाला बंधन हमारी ईजा. तो आइए आज हम आपको ले चलते हैं आत्मा से सरल, शुद्ध, दिलों को दिलों से मिलाने वाली और हमेशा शांत प्रिय, प्रसन्न चित्त रहने वाली, करुणा सागर दयावान हमारी ईजा की कहानी। नमस्कार जी मेरा नाम भुवन है और मैं आपको आज यह एक मनमोहक और सत्य कहानी बताने जा रहा हूं।
वन सराय और प्रकृति
अपने घर से दूर एक और घर वन सराय। बर्फ से आच्छादित् हिमालय के महान व अदभुत आकर्षक पर्वत शृंखलाओ के नज़दीक एक छोटा सा गाँव जागेश्वर धाम, जो की प्राचीन देवदारु के घने जंगलों के बीच मैं बसा हुआ है। संस्कृत या वैदौ मैं इन्हें दारूक वन भी कहा जाता है। इसलिए भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंगो मैं जागेश्वर धाम को अष्टम ज्योतिर्लिंग माना जाता है।

करीब 40 साल पहले जागेश्वर में एक जोगी महात्मा आए, जिनका नाम स्वामी प्रकाशानंद महाराज सरस्वती था | बहुत सारे लोग इनको teet महाराज के नाम से भी जानते हैं | उन बाबा ने जागेश्वर से 3 किलोमीटर पहले अपना एक आश्रम बनाया जिसका नाम उन्होंने मोक्ष आश्रम दिया। बाबा वहां से प्रतिदिन जागेश्वर आते और ब्रह्म कुंड में स्नान करके मंदिर में भगवान शिव जागनाथ और महामृत्युंजय लिंग पूजन करके वापस अपने आश्रम में जाते। जब बाबा जागेश्वर आते और ब्रह्मकुंड में सर्वप्रथम जाते तो वह बाबा ब्रह्मकुंड में जल मग्न होकर के डेढ़ घंटे तक रुद्री का पाठ करते चाहे ठंड हो गर्मी हो वह बाबा अपनी तपस्या में लीन रहते। उनके बारे में ज
Have you ever lay down on your back and stared at a billion shining stars at night? They either make you feel like a tiny speck on the planet or if you stay there, they all seem to sink in your chest, as if the entire universe lies within you.
This happened to me at Jageshwar in district Almora (Kumaon region) of Uttarakhand. What I thought would be yet another hill station opened my eyes to some amazing lessons.
For starters, there is a certain stillness that greets you everywhere. Later, the same stillness moves something in you.
हिमालय पर्वत श्रृंखाओं के गोद में विशाल देवदारू वृक्षों के घने जंगलों के बीच में बसे है भगवान शिव। वैसे तो हिमालय में बहुत सारे शिव मंदिर बने है लेकिन जो जागेश्वर में शिव है वो बहुत ही प्राचीन है। वेदों पुरणों में जो कि अटल सत्य है उनमें श्री जागेश्वर शिव का नाम आता है। ये एकमात्र स्थान है जहां शिव अपने जागृत अवस्था में रहते है, जो मांगो वो मिल जाता है। पूरे सृष्टि में एक मात्र स्थान श्री जागेश्वर महादेव इनका इतिहास आप केदार खण्ड, शिव पुराण आदि में देख सकते है। याेगी, जोगी, नागाबाबा,साधु व संत की इस पावन भूमि में सदा जलने वाला अखाड़ा और वही पर समसान जहा पर श्री भगवान लकुलीस और शिव ने एक साथ
The ancient temple city of Jageshwar is the land of Shiva, one can experience the spirituality and the positivity in this place.
Jageshwar, apart from its beautifully engraved stone temple, is also the base of various colorful festivals that are celebrated with grandeur.
Some of the most prominent festivals in Jageshwar are Maha Shivratri Mela, Pooram Festival and Jageshwar Monsoon Festival.