करीब 40 साल पहले जागेश्वर में एक जोगी महात्मा आए, जिनका नाम स्वामी प्रकाशानंद महाराज सरस्वती था | बहुत सारे लोग इनको teet महाराज के नाम से भी जानते हैं | उन बाबा ने जागेश्वर से 3 किलोमीटर पहले अपना एक आश्रम बनाया जिसका नाम उन्होंने मोक्ष आश्रम दिया। बाबा वहां से प्रतिदिन जागेश्वर आते और ब्रह्म कुंड में स्नान करके मंदिर में भगवान शिव जागनाथ और महामृत्युंजय लिंग पूजन करके वापस अपने आश्रम में जाते। जब बाबा जागेश्वर आते और ब्रह्मकुंड में सर्वप्रथम जाते तो वह बाबा ब्रह्मकुंड में जल मग्न होकर के डेढ़ घंटे तक रुद्री का पाठ करते चाहे ठंड हो गर्मी हो वह बाबा अपनी तपस्या में लीन रहते। उनके बारे में जागेश्वर क्षेत्र में बहुत सारी कहानियां सुनने को मिलती हैं। उन बाबा में एक अद्भुत शक्ति का वास था। वह बाबा ज्योतिष विद्या में महारत हासिल किए हुए थे तथा योग विद्या में भी उनको महारत हासिल थी। उसके साथ साथ बाबा को तंत्र विद्या का भी महा ज्ञान था। यही कारण था की जागेश्वर की जनता जनार्दन वहां जाने से और बाबा से बात करने से डरते थे। लोगों को लगता था कि बाबा तंत्र विद्या करके वह हमारा कुछ बिगाड़ देंगे। उनसे डरने के पीछे लोगों का एक एक सामने सामने का उदाहरण भी था जो सत्य को सत्य बनाता है। बाबाजी के बारे में एक बार की कहानी मैं आप लोगों को बताता हूं। उन दिनों पहाड़ों में खाने-पीने का सारा सामान उगाते थे। केवल नमक और चीनी के लिए या गुड़ के लिए गांव के लोगों को शहर जाना होता था। बाबा जी अपने आश्रम के जमीन में आलू की खेती किया करते थे, और जब आलू तैयार हो जाते थे उनको लेकर के शहर में बेच करके वहां से गुड और नमक लेकर वापस आश्रम में आ जाते थे तो इस तरह से आदान प्रदान करके लोकल जनता का खानपान का कार्य संपन्न होता था।
1 दिन की बात है बाबा जी के आश्रम के खेतों में जहां उन्होंने आलू लगाए थे। किसी आदमी ने बाबाजी के खेतों से आलू चुराने का प्रयत्न करा। पहली रात में तो वह आदमी सफल हो गया। जब आश्रम के लोगों ने बाबा जी को बताया की बाबाजी बाबाजी किसी ने हमारे खेतों से आलू चोर लिए है ,तो बाबा जी ने कहा उसको इस रात भी आने दो फिर देखते हैं तो वह जब दूसरी रात में जब वह चोर फिर दुबारा चोरी करने के लिए खेतों में आलू खोदकर के बोरे भरकर जैसे ही उस आदमी ने उस आलू के बोरे को अपने कंधे में रखा तो वह आदमी वहीं पर स्थिर हो गया और वह आलू का बोरा भी उसके कंधे में ही रह गया। रात भर उसकी आंखों से आंसू निकलते रहे । वह रोता रहा और हट कटाते रहा उस दिन से वह आदमी ना बोल पाया ना ही कुछ सुन पाया । तो यह थी बाबा जी की एक अद्भुत कहानी जिससे उनके आसपास और आश्रम में जाने से और उनसे बातचीत करने से सब डरते हैं।
जागेश्वर के आसपास के क्षेत्र के लोग तो वहां बहुत कम ही आते थे परंतु देश विदेशों से बड़े-बड़े लोग अपनी बड़ी बड़ी गाड़ियों में और हवाई जहाज में बाबा जी से मिलने के लिए आते थे। बहुत सारे लोग इनमें अपनी खोई हुई अमूल्य वस्तु को ढूंढने के विषय में बाबा जी से बातचीत करते है।
तो इस तरह की बाबाजी के बारे में बहुत सी और भी कहानियां है जो सत्य घटना पर आधारित है।
बाबाजी के भक्त बताते हैं कि उनकी आयु डेढ़ सौ साल से भी ज्यादा की है। उनके भक्त यह भी बताते हैं कि उन्होंने बद्रिका आश्रम में बहुत साल तक किया है। अभी महाराज जी ने समाधि ले ली है लेकिन आश्रम में उनकी ऊर्जा अभी भी है। उनकी समाधि स्थल में उनके भक्तों ने एक भव्य मूर्ति का निर्माण करवाया। महाराज जी का आश्रम जागेश्वर से 3 किलोमीटर पहले देवदार के जंगलों के बीच में बसा हुआ है। बाबाजी के पास एक अनोखी शक्ति थी जो भी लोग उनके दर्शन करने जाते वह बाबा उनके दर्शन से पहले ही उनका प्रति भाव जान लेते थे।
तो यह थी एक जागेश्वर के साधु बाबा जी की एक छोटी सी कहानी।
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